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औसधालय नहीं, है ये मौतालय !
है अदृश्य, मौत के सौदागर !!
अपने बदहाली पर रो रहा है भ्रमणशील पशुचिकित्सालय ।बदहाली सरकार के कारण नहीं है, बल्कि सरकारी कर्मी के लालफीताशाही के कारण हैं ।जनप्रतिनिधि भी इसके कम जिम्मेवार नहीं है, क्योंकि इनकी भी नियत “रंग बरसे भींगी “चुनरिया जो हैं ?
पशु अस्पताल पशुता को पराजित करने में मशगूल हो चुकी है ।प्रतिदिन लटकी हुई ताला का दर्शन पशु पीङा को लेकर पहुंचे लोगों को होता हैं ।डाक्टर को तो कोई पहचानते तक नहीं है। हाल ये सुरत जन्दाहा प्रखंड प्रमुख जय शंकर चौधरी और प्रखंड विकास पदाधिकारी मुकेश कुमार को देखने के लिए मिला ।जहाँ गँदगी बदहाली का पहचान करा रहीं थीं, वहीं कबाड़ी की चादर ओढ़े दबा की रख-रखाव चिकित्सालय के चिकित्सा व्यवस्था में बदहजमी पैदा कर रहा था ।
नाराज प्रखंड विकास पदाधिकारी ने चिकित्सक और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को अनुशंसा करने की बात कह डाली ।अब देखना है कि परिणाम क्या निकलता है ।लेकिन यहाँ सवाल कार्रवाई की नहीं है, बल्कि मायने ये रखता है कि व्यवस्था में कितनी सुधार होता है ।