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जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां उनकी सब क्रिया निष्फल हैं।
आज से दस हजार साल पहले आर्य या कहें कि वैदिक काल में नारी की स्थिति क्या थी यह सभी के लिए विचारणीय हो सकता है। नारी की स्थित से समाज और देश के सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर का पता चलता है। यदि नारी को धर्म, समाज और पुरुष के नियमों में बांधकर रखा गया है तो उसकी स्थिति बदतर ही मानी जा सकती है।
बिहार मे चल रहे सेविका सहायिका के अनिश्चितकालीन हड़ताल आखिर तब शुरू हुई जब इन महिलाओं को अपने सम्मान को पाने के लिये हर तरह का प्रयास नागवार साबित हुआ। इस हड़ताल ने समाज कल्याण विभाग, स्वस्थ्य विभाग के द्वारा दी जाने वाली सेवायें को लकवाग्रस्त कर उक्त विभागों के सिस्टम को की बिगाड़ दिया। आखिर ऐसा हो भी क्यों नही सेविका बहाल हुई बच्चों की देखरेख के लिए लेकिन कार्य अलग अलग करने को मजबूर जो किया जाता है। कभी शौचालय तो कभी जनगणना और भी कुछ। इसी सब को देखते हुए बिहार सरकार ने संबंधित संगठनो से वार्ता करने का मन बनाया है ।
इस संदर्भ मे आईसीडीएस बिहार पटना के निदेशक ने अपने पत्रांक 5738 दिनांक 12/12/2018 के आलोक मे बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, बिहार राज्य आंगनबाड़ी संघ एवं बिहार राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष को पत्र प्रेषित कर वार्तालाप कर हड़ताल समाप्त करने के लिए आमंत्रित किया है । कहा है कि आपके पांच सूत्रीय मांग पर सरकार सहानुभूति पूर्वक वार्ता करने को तैयार है । यह भी आग्रह किया है कि गुरूवार को 10:30 बजे अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय मे उपस्थित हो ।
साथ ही निदेशक आई सी डी एस द्वारा संयुक्त सचिव,महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार को भी बिहार राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी यूनियन द्वारा समर्थित 8 माँगो को लेकर शीघ्र कारवाई करने को कहा है।
इस करवाई पर बिहार राज्य आंगनबाड़ी संघ की वैशाली क्ष सविता कुमारी ने कहा कि बिचौलियों से कोई बात नही की जायेेगी मुख्यमंत्री महोदय खुद समय देकर हमारी माँगो को लेकर कोई ठोस कदम नही उठाती है तब तक आंगनबाड़ी संघ आंदोलन जारी रखेगा।