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आलेख – शिशिर समीर जन्दाहा । विद्यालय में दो वर्षो से रसोइया घोटाला। दो रसोइया के बदले होता है तीन की भुगतान। विद्यालय प्रभारी ने लगाया वित्तीय प्रभारी और एमडीएम प्रभारी पर आरोप। प्रखंड विकास पदाधिकारी जन्दाहा ने माना गंभीर मामला मानते हुए वीइओ से माँगा जाँच प्रतिवेदन।
वित्तीय प्रभारी अरूण कुमार साह उ. म. विद्यालय माधोपुर में है पदस्थापित, अब सवाल उठता है कि क्यों दूसरे विद्यालय के शिक्षक को बनाया जाता है वित्तीय प्रभारी और उसके कार्यों की क्यों नहीं नियमित निरिक्षण करती है विभाग जो होते रहती है इस तरह की घोटाले। प्रखंड विकास पदाधिकारी मुकेश कुमार ने अनौपचारिक रूप से बातचीत में जन्दाहा के वीइओ और शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को स्वीकार तो किया, लेकिन लाचारी का भी इजहार किया। दरअसल रिश्वत की डोर थामे बैठी शिक्षा विभाग के पदाधिकारी शिक्षा व्यवस्था और मूलभूत संरचनाओ के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
कोई एक विद्यालय का नाम ये पदाधिकारी बताने की स्थिति में नहीं है,जो घोटाले के दाग से अपने दामन को बचाये रखा हो। विभाग के लचर व्यवस्था का आलम यह है कि शिक्षक छात्रों के भविष्य सृजन के बदले शिक्षा, शिक्षा की मूल संरचना और उसकी संस्कृति को समाप्त करने की योजना में मशगूल होते है। चन्द शिक्षकों ने शैक्षणिक व्यवस्था से दूर रहकर विभागीय दलाली करने को ही अपना कर्तव्य समझ बैठे है।आवश्यकता है शिक्षा के मंदिर की पवित्रता को बनाये रखने की, ताकि मेरे बच्चे, मेरा भविष्य और सर्वसंपन्न भारत का सपना साकार हो सके । रसोइया घोटाला घटना जन्दाहा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चकमिल्की का है ।