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नलिनी भारद्वाज, वैशाली। देश मे बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि रात के 10 बजे तक ही पटाखा फोड़ना है वहीं दूसरी तरफ देर रात तक पटाखे की तेज़ आवाज सुनने को मिली। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को जनता द्वारा अँगूठा दिखाते हुए पहले की भांति ज़ोर दार पटाखे की गूंज के साथ दीवाली और छठ पर्व को खुशी खुशी मनाया।
बाजार में सरेआम प्रशासन की नजरों के सामने बिना लाइसेंस और सुरक्षा के पटाख़ों की सैकड़ों दुकाने सजी थी लेकिन प्रशासन आँखों मे पट्टी बांध दुर्घटना का इंतजार कर रहा था या मानो खुशी में झूम रहा था क्योकि इसमें भी उनकी कमाई का जरिया दिख रहा था जो अपने आप मे गलत था। इस तरह से पटाखे बेचने से कभी भी दुर्घटना हो सकती थी जिसके रोकने का कोई इंतजाम न दुकानदारों ने कर रखा था और ना हीं प्रशासन। जब तक इस अनहोनी को रोकने की कोशिश की जाती तब तक भारी तबाही हो चुकी होती।
अतः जो भूल प्रशासन द्वारा हुई इसे अगली बार न दोहराते हुए प्रशासन को अपने उपर उठने वाले अंगुलियों को दुबारा मौका नही देना चाहिए।